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धरती पर पाप, अधर्म बढ़ता है , तब धर्म की हानी को रोकने हेतु किसी न किसी रूप में भागवनअवतार लेते हैं– पं छोटू शर्मा

बदनावर/डेस्क

श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को सत्य धर्म और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने का ज्ञान देती है। जब जब धरती पर पाप एवं अधर्म बढ़ता है तब तब भगवान धर्म की हानी को रोकने के लिए किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं एवं धर्म विरोधी ताकतों अपनी शक्ति से नष्ट कर देते हैं। जिस प्रकार रात होते ही चंद्रमा सूर्य की रोशनी को खत्म कर चारो और अंधेरा ही अंधेरा कर देता है। पर सुबह होते ही सूर्य अपनी किरणों से चारों दिशाओं में फैले अंधेरे को दूर कर चारों ओर प्रकाश फेला देता है। उसी प्रकार सुख दुख जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है पर मनुष्य सुख में परमात्मा को भूल जाता है दुख आते ही हरे राम हरे कृष्णा रटने लग जाता है। श्रीमद् भागवत कथा प्राणी मात्र को यही सिखाती है कि भगवान के प्रति आपका प्रेम स्नेह अटूट होना चाहिए, चाहे सुख हो या दुख परमात्मा को कभी नहीं भूलना चाहिए, निश्चित मानिए आपके जीवन में प्रकाश रूपी सुख का उदय होना निश्चित है। उक्त बात गौशाला प्रांगण कोटेश्वर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस, कथा वाचक पंडित छोटू शर्मा रेशमगारा वालो ने कही।शर्मा ने बताया की कथा भक्तों के जीवन में आशा और विश्वास की भावना को मजबूत करती हैं। भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथाओं का वर्णन करते हुए बताया कि जब जब जरूरत पड़ी तब तक भगवान विष्णु ने अनेक अवतार लिए उसमें प्रमुख रूप से वराह अवतार जिसमें उन्होंने पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष से मुक्त किया और उसे अपने दाँतों पर उठाया। नरसिंह अवतार भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हुए हिरण्यकश्यप का वध किया। वामन अवतार, राजा बलि से तीन पग भूमि के रूप में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को मांग लिया। परशुराम अवतार जिसमें उन्होंने अधर्मियों का संहार किया और पृथ्वी को धर्म की स्थापना हेतु सुरक्षित किया। शर्मा ने कहा की परशुराम अवतार की कथा अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक है। परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म भृगु ऋषि के वंश में ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जन्म पृथ्वी पर अधर्म और अत्याचार का नाश करने के लिए हुआ था। कथा का आयोजन श्रीमती धापू बाई पिता मांगीलाल गोगा द्वारा करवाया जा रहा है। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंच रहे हैं।

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