झील कंपनी में बिमार मरीज के उपचार में बडी लापरवाही सामने आयी
स्ंचालित एंबुलेस में न तो आक्सीजन सिलेंडर है न ही प्राथमिक उपचार के साधन
बिमार कर्मचारी को 50 किमी इधर उधर घुमाया कर अंत बदनावर निजी अस्पताल लाए
कंपनी के कर्मचारी ने मेडिकल लापरवाही को लेकर किया खुलासा
बदनावर। झील कंपनी छायन में दो हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हे। किंतु इनके स्वास्थ्य को लेकर कंपनी में बडी लापरवाही सामने आई है। कर्मचारियों के बिमार होेने पर प्राथमिक उपचार की सुविधा भी उपल्बध नहीं है। कंपनी में तैनात एंबुुलेेस में न तो आक्सीजन सिलेंडर लगा है औेर नही अन्य कोेई सुविधा मिलती है। कर्मचारियों के स्वास्थय को लेकर सोमवार को खुलासा हुआ। एक कर्मचारी के बिमार होने पर 50 किमी इधर उधर घुमाया गया, किंतु स्थिती बिगडने पर बदनावर निजी अस्पताल लाया गया। रास्ते में बिमार कोे आक्सीजन की आवश्यकता लगने पर साथी कर्मचारी ने मुंह से सांसे देकर उसका जीवन बचाया। मरीज के साथ आये कर्मचारी ने कंपनी में उपलब्ध मेडिकल सुविधाओं की पोल खोल दी। ं
सोमवार को झील कंपनी में हाउस कीपिंग का काम करनेे वालेे कर्मचारी करण मांगलिया की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसे तत्काल उपचार की आवश्यकता लगी। कंपनी के उपस्थित कर्मचारियों की मदद से उसे एंबुलेस सेे राजोद ले जाया गया। जहां कोई चिकित्सक नहीं मिलने पर एक प्रायवेट क्लिनिक पर ले गये। वहां भी कोई चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने पर एंबुलेस चालक ने झील कंपनी में संपर्क करने पर उन्होने सरदारपुर ले जाने की सलाह दी गई। इस पर बिमार करण के साथ रितीक रिल भी उपस्थित था। जिसने एबुलेंस चालक को बदनावर चलने के लिए कहा गया। तब झील कंपनी ने बदनावर ले जाने से इंकार किया गया। रितीक रिल ने एंबेलेस चालक को बदनावर ले जाने हेतु दबाव बनाने पर एक निजी अस्पताल लाया गया। जहां उपस्थित चिकित्सक ने जांच कर उपचार किया गया। बिमार के शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखी गयी। उपचार के बाद मरीज के स्वास्थय में सुधार देखा गया
कंपनी के कर्मचारी रितिक रिल ने मेडिकल में लापरवाही को लेकर किया खुलासा
रितीक रिल ने बताया कि वह आउट सोर्स के माध्यम से झील कंपनी में सुपरवाईजर का काम करता हॅु। सोमवार को अचानक करण विनोद मांगलिया नि बदनावर की तबीयत खराब हो कर बेहोश हो गया। झील कंपनी के कर्मचारी ने एंबुलेस बुलवा कर करण को उपचार हेतु बदनावर न भेजकर छायन से राजोद भेजा गया। जहां कोई डाक्टर नहीं मिला, तब एंबुलेस चालक ने झील कंपनी के कर्मचारी से चर्चा करने पर निजी क्लिनीक ले जाने की सलाह दी गयी। वहां भी बिमार का उपचार नहीं हो सका। इस पर मैने बदनावर ले जाने का कहनेे पर चालक उलूल जुलूल बाते करने लगा। वहीं दूसरी और मरीज की तबीयत काफी बिगड गई। स्थिति खराब हो कर गंभीर हो गई। इस पर मेरे विवेक पर बदनावर हेतु रवाना हुए। मरीज को आक्सीजन की आवश्यकता थी, रास्ते में 3 बार करण बेहोश हुआ। तक मैने मंुह से सांसे देकर उसे यहां तक लाया। झील कंपनी की एंबुलेस में आक्सीजन सिलेंडर एवं प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा नहीं है। कंपनी वाले नेे हमारी संस्था को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया गया। झील कपंनी मेें मेडिकल संबंधी सुविधाओं को खुलासा करते हुए कहा कि यहां मेडिकल की कोई सुविधा नही है। आए दिन किसी की तबीयत खराब होती रहती है। परंतु उपचार नहीं मिलता है। पिछले दिनों शासन की और से मेडिकल टीम के आडिट के दौरान एक दिन के लिए डाक्टर को किराए पर लाया गया था। झील कंपनी धंधा बढाने के लिए लोेगों की जान से खेल रही है।
आखिर क्यों प्रसाशन मूक दर्शक बना है
पिछले कुछ माह से लगातार कुछ न कुछ हादसों की की खबर झील फैक्ट्री से सुनने को मिलती है। किन्तु प्रसाशन कुम्भकरण की नींद में सोया है या कम्पनी सेठ के रुतबे से डरा प्रतीत होता है तभी कुछ ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। उक्त मामला मानव अधिकार आयोग के संज्ञान में भी पहुंच चूका है पर लगता है आयोग भी कम्पनी के सेठ को खुश करने में लगा है।
*सस्थानियो को भी बाहर करने में लगी झील फैक्ट्री*
पिछले दिनों सेक्युरिटी गार्ड में लगे कई स्थानीय युवाओ को भी कम्पनी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। कम्पनी का कहना है की यह हमारा मामला नहीं है जिस आउट सोर्स कम्पनी ने इनको निकला है वही बता सकती है।
सुपरवाईजर जबरन बदनावर निजी अस्पताल में ले गया-
झील कंपनी पीआरओ श्री वास्तवझील कंपनी के पीआरओ श्री वास्तव का कहना है कि मेरे सामने की घटना है। करण को फीवर होने से चक्कर आ रहे थे। राजोद में एक अस्पताल से हमारा टाईअप होने के कारण वहां भेजा गया था। किंतु सुपरवाईजर जबरन बदनावर निजी अस्पताल में ले गया। बिमार के उपचार खर्च को लेकर कहा कि हमारी कंपनी व हाउस कीपिंग के बीच का आंतरिक मामला है। एंबुलेेस में आक्सीजन सिलेन्डर नही होने की मनगंढत बाते है।