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दुनिया की सबसे बड़ी मां काली देवी की मूर्ति केरल से बदनावर के लिए रवाना

🌅 *दुनिया की सबसे बड़ी मां काली देवी की मूर्ति बदनावर पहुँची: केरल के तिरुवनंतपुरम के रवाना हुई,*

बदनावर/महेश पाटीदार

दुनिया की सबसे बड़ी मां काली देवी की मूर्ति ने गुरुवार को केरल के तिरुवनंतपुरम के बदनावर से रवाना हुई।  जयपुर से 600 किमी से अधिक की यात्रा करके मध्य प्रदेश के धार जिले के बदनावर में पहुंची।18.5 फीट की देवी काली की मूर्ति जो उत्तम काले राजस्थानी संगमरमर से बनाई गई है। इसको नंदी की मूर्ति के साथ एक बड़े ट्राले पर ले जाया जा रहा है। यह मूर्ति मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु से होकर पूर्णमिकवु मंदिर में अपने मूल स्थान तक पहुंचेगी।

*लोगो ने पहली बार देखी इतनी बड़ी मूर्ति*

यहां फोरलेन से गुजरते हुए लोगो ने प्रणाम किया। यह मूर्ति राजस्थान के भैंसलाना से 30 x 20 फीट आकार की व 45-50 टन वजनी है। जो उत्कृष्ट एकल संगमरमर पत्थर से बनी। देवी दुर्गा और लक्ष्मी (राजा मदनघी देवी) की 12 फीट ऊंची मूर्ति के साथ केरल के तिरुवनंतपुरम के चावड़ी नाडा वेंगनूर में पूर्णमिकवु मंदिर में ऊंची देवी की मूर्ति पर नक्काशी की जाएगी। ये मूर्तियां देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी देवी को समर्पित मंदिर की भक्तों के बीच सदियों पुरानी श्रद्धा को और बढ़ाएंगी। दुनिया की सबसे बड़ी पंचमुखी गणेश मूर्ति और 51 अक्षर देवताओं के आवास के लिए प्रसिद्ध, पूर्णमिकवु मंदिर भारत में एकमात्र तीर्थस्थल है। जो अक्षरों यानी विद्या का प्रतिनिधित्व करने वाली देवियों को समर्पित है। प्रत्येक अक्षर अपनी-अपनी देवी से जुड़ा हुआ है, जो भक्तों को शैक्षिक और करियर में उन्नति के लिए आशीर्वाद लेने का अवसर प्रदान करता है। हाल ही में मंदिर में 17 फुट की शनिदेव की मूर्ति स्थापित की गई थी, जो भारत में अपनी तरह की दूसरी मूर्ति है। 18.5 फीट की देवी काली की मूर्ति जो उत्तम काले राजस्थानी संगमरमर से बनाई गई है। इसको नंदी की मूर्ति के साथ एक बड़े ट्राले पर ले जाया जा रहा है। 

देवी काली के रथ के वाहन चालक बबलू सिंह ने कहा, “मुझे माताजी को उनके गंतव्य तक ले जाते हुए बहुत खुशी हो रही है। जब मुझे यह जिम्म्मा मिला तो लगा कि यह कठिन है, लेकिन मां की कृपा से आसान है। जयपुर में पूजा समारोह के बाद मुझे अपने कंधों पर भार महसूस हुआ।उन्होंने का देवी काली ने मुझे चुना है। उन्होंने इस बात पर तसल्ली देते हुए कहा कि वह दूसरे ड्राइवर की जगह ले रहा हूं। सड़कों पर चलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खासकर जब अन्य लोग राजमार्गों पर तेज गति से गाड़ी चला रहे हों, लेकिन अब मैं माताजी की कृपा से सहज महसूस कर रहा हूं। देवी शक्ति (काली मठ) की मूर्ति 13-20 दिनों की अवधि में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु से होकर पूर्णमिकवु मंदिर में अपने मूल स्थान तक पहुंचेगी। मंदिर के मुख्य क्यूरेटर-एमएस भुवनचंद्रन ने कहा- “देवी काली की मूर्ति और देवी दुर्गा और लक्ष्मी की स्थापना समारोह, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समान होगा। हालांकि यह शक्तिशाली और प्रतिष्ठित हिंदू देवी-देवताओं का निवास स्थान होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर के भक्तों की अटूट आस्था ने तेजी से शक्तिशाली मूर्तियों के अधिग्रहण को सक्षम किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह शासन में जहां भारत के प्रधानमंत्री को मंत्रियों का समर्थन प्राप्त होता है। इस मंदिर में देवताओं को दैवीय शक्ति के अन्य रूपों द्वारा समर्थित किया जाता है।

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