प्रदेश स्तरीय सम्मेलन इतिहास के पन्ने पर अंकित हो गया भाव से विहार सेवा करने पर तीर्थंकर बनने का अवसर प्राप्त हो सकता है
मध्यप्रदेश प्रथम विहार सम्मेलन में गणिवर्य श्री पदमचंद्र सागरजी ने उदगार व्यक्त किए
प्रदेश स्तरीय सम्मेलन इतिहास के पन्ने पर अंकित हो गया
बदनावर/ चीफ एडिटर
जो साधु साध्वी की सेवा करते हैं उन्हें निश्चित ही परमात्मा की आज्ञा का पालन करने का अवसर मिला है। प्रत्येक विहार सेवक अपना कर्तव्य समझे और जो विहार सेवा से जुड़ने से वंचित रहे हैं उन्हें जोड़ने का प्रयास करें। श्रद्धा से विहार सेवा करने पर तीर्थंकर बनने का अवसर प्राप्त हो सकता है। ये प्रेरणादायी उदगार गणिवर्य श्री पदमचंद्र सागरजी ने बदनावर में श्री श्वेतांबर मूर्ति पूजक जैन श्रीसंघ के मार्गदर्शन में दौलत सागर परिसर में विहार परिवार द्वारा आयोजित विहार सम्मेलन में व्यक्त किए।
भयभीत होने पर साधु एवं धर्म की शरण में जाते हैं
गणिवर्य श्रीजी ने आगे कहा कि व्यक्ति जब भयभीत होता है तो उसे साधु एवं धर्म की शरण में जाना पड़ता है। साधु साध्वी इस धरा पर नहीं होंगे तब छठे आरे की शुरुआत होगी। बदनावर विहार परिवार ने कंधे से कंधा मिलाकर इतना बड़ा आयोजन किया है। रविवार के दिन अमृत सिद्धि योग का सुंदर अवसर बना है।
श्रमणों की चिंता करे वह विहार सेवक
गणिवर्य श्री आनंदचंद्रसागरजी ने कहा कि जो स्वयं की चिंता करें वह स्वार्थी, परिवार की चिंता करें वह स्वजन, समाज की चिंता करे वह सज्जन, देश की चिंता करे वह सैनिक और जो जीव मात्र की चिंता करें उसे श्रमण कहते हैं। वहीं श्रमणों की भी जो चिंता करते हैं उसे विहार सेवक कहते हैं। आज हमें जैनत्व के गौरव को संभालने एवं सुरक्षित रखने की जरूरत है।
योद्धा बने या सेवक बने
परमात्मा के शासन को समझना है तो योद्धा या सेवक बने। विहार सेवा शरीर के लिए व सदाचार के लिए भी अच्छी है। साधु साध्वी जी की जो वैयावच्च, सेवा बीमारी, विहार आदि सेवा करता है वह तीर्थंकर नाम कर्म का उपार्जन कर सकता है। गणिवर्य श्री ने कहा कि बदनावर विहार परिवार ने यह प्रथम विहार सम्मेलन आयोजित कर मशाल प्रज्वलित की है। इसे आगे बढ़ाते जाएं।
सम्मेलन को 400 विहार सेवकों ने रोचक बना दिया
मध्यप्रदेश के प्रथम विहार सेवक सम्मेलन में बदनावर एवं क्षेत्र सहित प्रदेश के विभिन्न गांवों व नगरों के 56 विहार परिवार से 400 विहार सेवकों ने उत्सुकतापूर्वक भाग लेकर सम्मेलन को रोचक बना दिया। साधु एवं सेवक के अदभुत मिलन के इस सम्मेलन ने उपस्थित जन का अंतरहृदय प्रफुल्लित कर दिया। इसी के साथ विहार परिवार बदनावर प्रदेश का प्रथम विहार सम्मेलन का संस्थापक बन गया। इस ऐतिहासिक सम्मेलन ने बदनावर के इतिहास के पन्ने पर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करने के साथ कई महत्वपूर्ण प्रेरणा दे गया है।
आगामी सम्मेलन करने की विनती रखी
बदनावर सहित इंदौर, महिदपुर, धार एवं नीमच विहार सेवक परिवार ने प्रदेश स्तरीय द्वितीय सम्मेलन इनके नगर में करने की विनती रखी। वहीं बड़नगर विहार परिवार ने आगामी दूसरे से पांचवे सम्मेलन में से कौन सा भी एक सम्मेलन बड़नगर में करने की अर्जी रखी। विभिन्न गांवों एवं नगरों के आए विहार परिवार के प्रमुख ने विहार के अपने अनुभव एवं सुझाव साझा किए।
बाल मुनि द्वय ने पूछे रोचक ज्ञानवर्धक प्रश्न
सम्मेलन के द्वितीय चरण में 10 से 12 वर्षीय बाल मुनि द्वय ने व्याख्यान श्रृंखला से रोचक एवं ज्ञानवर्धक प्रश्न पूछे। जिनका विहार सेवकों ने उत्सुकता से उत्तर देकर ज्ञान में अभिवृद्धि की।
इनका किया गया बहुमान
बहुमान लाभार्थी द्वारा साधु साध्वी भगवंत की सेवा आदि करने वाले जैनैत्तर बधुओं एवं विभिन्न गांवों के विहार परिवार के सेवकों का स्मृति चिन्ह भेंटकर बहुमान लिया गया। नगर की बेटी आर्ची कोठारी के डॉक्टर बनने पर इनका भी बहुमान किया गया। डॉ कोठारी ने यह सम्मान अपने पिता को भेंट किया।
प्रमुख अवार्ड से किया सम्मानित
चेतन रांका ने जानकारी देते हुए बताया कि दौलत सागर रत्न अवार्ड से मुकेश चंडालिया सैलाना को सम्मानित किया गया। इसी तरह उत्कृष्ट विहार सेवक से यश बोरा बड़नगर, चेतन सियाल भाटपचलाना, मनोज वागरेचा नागदा जंक्शन, सर्वश्रेष्ठ विहार परिवार से विहार परिवार खाचरौद, समकित विहार परिवार धार, विहार परिवार महिदपुर सिटी एवं बाल विहार सेवक, वडिल विहार सेवक व शाम के विहार सेवक अवार्ड भी प्रदान कर बहुमान किया गया। स्वागत गीत श्राविका ग्रुप ने एवं स्वागत भाषण विहार प्रमुख ने किया। संचालन प्रवीण गुरु जी इंदौर व महेंद्र सुन्देचा ने किया। आभार अतुल बम ने माना। सम्मेलन में श्री जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक श्री संघ ट्रस्ट मंडल, विहार परिवार, बालक बालिका मंडल एवं हैप्पी फ्रेंड्स का व्यवस्था में सराहनीय योगदान रहा। बाहर से आए विहार परिवार सदस्यों को ठहरने, नवकारसी, सुबह का भोजन, शाम के चौवीहार की उत्कृष्ट व्यवस्था से आगंतुक अभिभूत हो गए। सम्मेलन प्रारंभ के पूर्व सभी विहार सेवकों ने दो दो की कतार बद्ध में चलकर बैंड बाजे व ढोल ढमाके से चल समारोह निकाला। इसमें आगे आगे गणिवर्य श्रीजी व मुनि वृंद चल रहे थे।